डार्क हॉर्स
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अब संतोष अपने सपनों के नगर 'मुखर्जी नगर में खड़ा था। चारों तरफ सफल अभ्यर्थियों के पोस्टर ही पोस्टर इनकी सफलता का शिल्प रचने वाले महान कारीगरों के नामचीन कोचिंग के होर्डिंग्स। भिन्न-भिन्न मुद्राओं में बातचीत और चिंतन कर आ जा रहे भविष्य के सिविल सेवक जूस की दुकान पर सूखे और बाढ़ की चर्चा। चाय की दुकान पर जीडीपी पर बहस कोचिंग से छूटे किताब से भरे बैग वाले छात्र का तुरंत किताबों की दुकान पर ये दिल माँगे मोर टाइप से किताब ढूंढना। ठीक वैसी नजर से जैसे बगुला सागर में मोती ढूंढ रहा हो पराठे की दुकान पर आतंकवाद से निपटने की चर्चा ऐसा अदभुत नगर था मुखर्जी नगर अभी-अभी मुखर्जी नगर उतरा संतोष जो अपने दिल में तैयारी का एक दीया लिए उतरा था ऐसे दृश्यों को देखकर अब वो कुछ ही पल में मशाल बन चुका था। बिजली के खंभों और पैशाबघरों में लगे एक से नौ सौ रैंक तक के सभी सफल छात्रों के पोस्टर में संतोष खुद को महसूस कर रहा था। वह इस नयी दुनिया का हिस्सा बनकर गौरवान्वित था। दस से पंद्रह मिनट तक इस एहसास को पी लेने के
बाद उसने अपने फोन में एक नंबर डायल किया। "हेलो, हाँ रायसाहब नमस्कार! हम संतोष बोल रहे हैं। यहाँ मुखर्जी नगर पहुँच गए
हैं। " संतोष ने कहा। उधर से रायसाहब की आवाज आई, "स्वागत है। स्वागत है भाई। कहाँ पर हैं अभी आप बड़ा? "जी, ये बत्रा सिनेमा के ठीक सामने खड़े हैं। एक दो जूस का दुकान है उसी के पास हैं। " संतोष ने इधर-उधर नजर टटोलते हुए कहा।
"बस दस मिनट रुकिए वहीं, हम आते हैं।" कहकर रायसाहब ने फोन काटा संतोष की रायसाहब से मुलाकात बोकारो में एक शादी के दौरान हुई थी। रायसाहब ने तभी संतोष को अपना पता-ठिकाना और नंबर देते हुए कहा था, "अगर दिल्ली में मन हो तैयारी करने का तो जरूर बताइएगा।"
रायसाहब का पूरा नाम कृपाशंकर राय था। वे मूलतः यूपी के गाजीपुर से थे। रायसाहब पिछले पाँच साल से मुखर्जी नगर में तैयारी के लिए रह रहे थे। पिछले साल ही उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में आईएएस की मुख्य परीक्षा दी थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. करने के बाद उन्होंने बी.एड. भी कर रखा था। किसान परिवार से थे पर किसांनी ठीक-ठाक थी, पिता खेती-बाड़ी से मजबूत थे। कृपाशंकर के झड़ते बाल और तेजी से लटकती झुरियों के अदब में साथी उन्हें 'रायसाहब' कहते थे।
"अरे लीजिए आ ही गए आप भी आईएएस बनने!" सामने से आते ही संतोष को गले लगाते हुए रायसाहब ने कहा। "देखिए। अब आपकी शरण में हैं, जो बना दीजिए। आईएएस या आईपीएस।"